विंटर ब्रेक
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgom4rVCBrnHj57ADIUzd9heX91xiU3IJDH-EzT8Pt6lYGkAxhEVedOJcO-hlcZ7i2B-sEtVt4VGSueqNoe0Y9CC9bcfZQceIdbhUb5thUHz6y_KSZuMtVsudYkGLD8ZMYfwXutSbmNcZa-BfnLSbM1nGj619ZwP-Z9UAv6d0PFCy82tvUnP6ixoa2rySEt/s320/Fire%202.jpg)
जन्माष्टमी पर घर में मिठाई बनाने की परंपरा रही है। दो-तीन दिन पहले मावा निकालने का काम शुरू हो जाता था। दूध की मांग अचानक बढ़ जाती और दूधियों के पास एडवांस बुकिंग रहती। मावा तैयार करते समय ही मुंह मीठा होने लगता था। आखिर में कढ़ाई में बची खुरचन का स्वाद किसी बर्फी से कम नहीं होता था। गांव में रहते हुए यह सब सुख भोगा। जन्माष्टमी बिना घीया की मिठाई के मन जाए ऐसा कभी नहीं हुआ। तैयार होने वाली मिठाईयों में घीया की लोज का अपना ही चार्म था। दूसरे नंबर पर रसगुल्ला था। व्रत के दिन रात में चंद्रमा दिखने के बाद व्रत खोलते ही मन नमकीन का करता लेकिन अगले कुछ दिन पूरा ध्यान घीया की लोज पर रहता था।
घर में अगर पति-पत्नी दोनों वर्किंग हों तो त्योहार मनाने में समझौता करना पड़ता है। नौकरी की भागदौड़ में समय की कमी रहती है। एक की छुट्टी है तो दूसरे की नहीं है। ऐसे में रेडिमेड सहारा है। इसके लिए बाजार सजा है। मॉल में शॉपिंग और बाजार से खाने-पीने की चीजें लेकर हम त्योहार मना लेते हैं। व्यस्त दिनचर्या में घर में बनाने का सिरदर्द कौन मोल ले। इस बार हम दोनों की छुट्टी थी। इसलिए कढ़ाई चढ़ा दी। घीया की लोज बनाने के लिए। गांव में घीया को कोई भले ही न पूछता हो लेकिन शहर में इसकी काफी इज्जत है। बूढ़े ही नहीं जवान और बच्चों में यह काफी लोकप्रिय है। गांव में घर में घीया उगाने से लेकर शहर में उबालने तक की यात्रा में इसकी अहमियत और गुण का पता चल गया है। जो उत्पाद हमें पैक होकर मिलता है, उसे ज्यादा महत्व देते हैं।
लोज बनाने की प्रक्रिया में मेरी जिम्मेदारी घीया छीलने और कसने की थी। चंद मिनटों में यह काम करके मुझे लगा कि यह तो बड़ा आसान है लेकिन घीया उबालना उसमें मावा डालकर तैयार करना। इस बीच चलाते रहने की शर्त आपको बर्नर से दूर जानेे की इजाजत नहीं देती। कुल मिलाकर अच्छा खासा समय लग जाता है। बर्तनों का काम बढ़ता है वो अलग। यह सब करने के बाद जब खुद के हाथ की बनी घीया की लोज का स्वाद मिलता है, उसका क्या कहना।
Muh main pani aa gaya.. Giya ki barfi.. Bahut achhi.. Lekhan main hi banane ka swad aa gaya.. Jai Nand lala.. Banke bihari lal ki jai ho..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अमर जी।
हटाएंओह्ह अब समझा इसीलिए कल बाजार मे घीया नदारत क्यों था ☺️
जवाब देंहटाएंजी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं