जान पर खेलकर वीडियो जर्नलिज्म
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स्क्रीन पर कौन दिखना नहीं चाहता। दिखेगा तभी तो बिकेगा। यही फार्मूला ऑनलाइन और टीवी मीडिया की रीड है। आकर्षण है। कंटेंट पर अब वीडियो भारी है। खबर, लेख, कविता और तथ्य कभी आपने वायरल होते देखे हैं। इनको साझा करने वाले गिने चुने होंगे। पढ़ने से ज्यादा हमारे पास देखने का वक्त है। बाजार इसको बखूबी समझता है। इसलिए वीडियो जर्नलिज्म लोगों का ध्यान खींच रही है। यह प्लेटफार्म और सीमा की मोहताज नहीं है। तभी तो पाकिस्तान में कुछ लड़कियों की पार्टी होती है और उसी अंदाज में जश्न आभासी मीडिया पर दुनिया के अलग-अलग कोने में मनाया जाता है। वीडियो जर्नलिज्म का यह नमूना जगह-जगह काॅपी हो रहा है। जान पर खेलकर हाल में बनाए गए दो वीडियो ने भी करोड़ों लोगों का ध्यान खींचा है। वीडियो जर्नलिज्म की वजह से ये घटनाएं खबरों की दुनिया में छाई रही।
बड़ौत में ग्राहक को लेकर हुई मारपीट का फाइल फोटो। |
मारपीट हुई मशहूर
यूपी के बागपत जिले के बड़ौत कस्बा का मारपीट का वीडियो राष्ट्रीय खबर बन गया। एक चाट विक्रेता ने दूसरे विक्रेता के ग्राहकों को आकर्षित करने की नापाक कोशिश करने पर मामला शुरू हुआ। वीडियो में लाठियों की बौछार किसी को भी देखने के लिए विवश कर सकती है। पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे पर इस तरह लाठियां चला रहे हैं, जैसे नागिन धुन पर डांस कर रहे हो। देखने से लग नहीं रहा कि इनका मूल काम चाट बेचने का है। वह बागपत के जोहडी स्थित शूटिंग सेंटर से पास आउट लगते हैं। अफरा-तफरी में भी लाठी ने किसी के भी नाजुक और किल प्वाइंट को नहीं छुआ। ऐसा होता तो आरोपियों में से कुछ हवालात की जगह अस्पताल में होते। इस घटना को जनमानस के सामने लाने वाला वह शख्स जिसने वीडियो बनाया, उसकी बहादुरी को प्रणाम। देश की आंतरिक सुरक्षा में वीडियो जर्नलिज्म का इससे साहसिक उदाहरण मिलना मुश्किल है। सोचिए बिना लट्ठ खाए उसने यह वीडियो कैसे बनाई होगी। ऐसी घटनाएं एशिया और अफ्रीका में सामान्य बात है। देखा जाए तो वह खबर ही नहीं बनती। बन भी जाए तो संक्षिप्त में सिमट जाती है। राष्ट्रीय खबर बनने का पूरा श्रेय वीडियो बनाने वाले को जाता है। उसने मारपीट का एक भी क्षण जाया नहीं जाने दिया। मौके ए वारदात पर मौजूद था। मोबाइल निकालने में देरी नहीं की। हमलावरों से सटकर रिपोर्टिंग करने की यह दुर्लभ घटना थी। वाॅर रिपोर्टिंग में भी रिपोर्टर दूरी बनाकर रखते हैं। पत्रकारिता जगत में राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय पुरस्कार देने वालों को ऐसी रिपोर्टिंग का स्वतः संज्ञान लेना चाहिये।
प्लेन में लगी आग का फाइल फोटो। |
15 हजार फीट पर साहस
अमेरिका में हाल में एक बड़ा विमान हादसा पायलट की सूझबूझ से टल गया। प्लेन के टेकऑफ करने के कुछ देर बाद ही इंजन में आग लग गई। विमान करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर था। वह एयरपोर्ट से अधिक दूर नहीं गया था। इंजन में आग की सूचना से यात्रियों में दहशत फैल गई। पर पायलट ने हिम्मत नहीं हारी और सुरक्षित लैंडिंग कर यात्रियों की जान बचाई। यह कहानी वीडियो के रूप में हमारे सामने आए इसके लिए विमान के अंदर मौजूद एक और व्यक्ति ने गजब का हौसला दिखाया। उसने अपने मोबाइल से जलते इंजन की वीडियो बनाई। मौत सिर पर खड़ी हो और दिमाग काम करना बंद कर दे, ऐसे में एक व्यक्ति अपना मोबाइल चला रहा था। यह वीडियो करोड़ों लोगों ने देखी। जाहिर है इस व्यक्ति ने भी हिम्मत नहीं हारी होगी। अगर उसके भी दूसरों की तरह हाथ पैर फूल गए होते तो यह सनसनीखेज वीडियो दुनिया देख नहीं पाती।
ओरिजनल क्रिएटर
भारत में सोशल मीडिया के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आपत्तिजनक वीडियो या कंटेंट अपलोड करने वालों पर कार्रवाई का शिकंजा कसा जाएगा। प्लेटफार्म को आपत्तिजनक वीडियो या कंटेंट के सोर्स के बारे में जानकारी देनी होगी। खराब ही क्यों वीडियो जर्नलिज्म से देश-दुनिया का ध्यान खींचने वाले या भला करने वालों का भी पता चलना चाहिये। अच्छा करने वालों को सम्मानित करने का ख्याल बुरा नहीं है। कम से कम उनके साहसिक काम को पहचान मिलनी चाहिए। दूसरी ओर ओरिजनल क्रिएटर को इसका वित्तीय लाभ भी मिलना चाहिये। गूगल और फेसबुक जैसी संस्थाओं से समाचारों के बदले देशों ने पैसा वसूलने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी ने सरकार से मांग की है कि सोशल मीडिया के प्लेटफार्म खबरों से होने वाली कमाई का 85 प्रतिशत समाचार पत्रों को दें। जान पर खेलकर वीडियो बनाने वालों को भी ऑनलाइन कमाई में से कुछ हिस्सा मिलना चाहिये।
चलते -चलते
जान पर खेलकर और दुर्लभ वीडियो बनाने वालों को पहचान मिलनी चाहिये। ऐसी वीडियो से पैसे कमाने वालों को कमाई से कुछ हिस्सा उनको भी देना चाहिये।
- विपिन धनकड़
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टिप्पणियाँ
Great 👍
जवाब देंहटाएंThanks.
हटाएंGood article. MOJO is everywhere
जवाब देंहटाएंThanks.
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