जिंदगी एक जुमला है सुहाना
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जिंदगी का मतलब हर किसी के लिए अलग हो सकता है। कोई इसे शौक में खोजता है, किसी को यह सुकून में नजर आती है। किसी के लिए सफलता है तो किसी के लिए दौलत। उम्रभर भौतिक सुख जुटाने में अचानक याद आता है, यार हमने जिंदगी तो जी ही नहीं। बस दौड़ते रहे। यहां से वहां। इधर से उधर। दरअसल, जिंदगी का कोर्स आउट ऑफ सिलेबस है। बावजूद इसके ये समय-समय पर परीक्षा लेती रहती है। यूं तो कुतुबखाने किताबों से भरे पड़े हैं, लेकिन ऐसी जिल्द जो जिंदगी से रूबरू करा दे, मिलती ही नहीं। अनुभव के पन्ने के पलटने पर अहसास होता है, सांसों के साथ जो गुजर रही थी, वही तो थी जिंदगी। बस महसूस ही जरा देर से हुई। इस पर जब फोकस करने की फुर्सत हुई, तब चश्मे चढ़ चुके थे।
कल, आज और कल
कल, आज और कल। तीनों जिंदगी से इस तरह जुड़े हैं, जैसे पेड़ से पत्ते, नदी से बहाव, पहाड़ से ऊंचाई। इनका ताल्लुक फितरत की तरह है। बदलता नहीं। कल में जिंदगी हमने कभी जी ही नहीं। पता नहीं किस-किस काम में उलझे थे। कहने को टाइम नहीं था। ठिकाने खोजने और कामयाबी की सीढ़ी चढ़ने में इतने व्यस्त थे कि पता ही नहीं चला कुछ फिसलता भी जा रहा है। छूटता जा रहा है। आज कुछ होश है तो जो कमाया है उसे संभालने की जद्दोजहद दिमाग पर हावी है। जिन सिरों से खुद को खोलकर निकले थे, अब इतनी दूर आ गए हैं कि समझ नहीं आ रहा जिंदगी का खूंटा कहां गाडे। जिंदगी ये थी या फिर वो? यह सवाल परेशान करता रहता है। बस उलझन में जिए जा रहे हैं। रही बात कल की, जो किसी का नहीं हुआ, वह मेरा और मेरी जिंदगी का क्या होगा? वह आज के भेष में आएगा और कुछ ही पल में फिर कल बन जाएगा। पर जिंदगी की तलाश वहीं टिकी है अपनी जगह। समझने वाली बात यह है कि जिंदगी कल, आज और कल में नहीं बल्कि हर पल में है। वो पल जिसमें हम लड़ रहे हैं। वो पल जिसमें घुट रहे हैं। वो पल जिसमें नफरत कर रहे हैं। वो पल जिसमें उलझनों में उलझे हैं।
जुमलों में जिंदगी
अगर महसूस करोगे तो जिंदगी हर चीज में है। यह जुमलों में भी है। दुनिया में इस बात पर बहस जारी है कि कोरोना महामारी किसने दी? बीमारी से बचने के लिए हमने कई जुमले दिए। उन पर अमल हुआ और वह कारगर भी रहे। 'दो गज की दूरी, है जरूरी', 'देह से दूरी', 'जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं', 'दवाई भी, कड़ाई भी' जुमले एक-दूसरे के विरोधाभासी हो सकते हैं, लेकिन इनमें छिपा जिंदगी का मतलब एकदम साफ है। और वो है हर हाल में जीना। लड़ना है। गिरना है। संभलना है। जीतना है। इसी का नाम है जिंदगी। जो आज हम कर रहे हैं, हो सकता है वह कल मायने न रखे। लेकिन हमने कैसे किया, यह याद जरूर रखा जाएगा। 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा' इस नारे ने सैंकड़ों हजारों लोगों को जीने का मकसद दिया। खून के बदले आजादी मांगने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस जानते थे, भारतीय रगों में दौड़ रहा खून आजादी के नाम पर उबल पड़ता है। क्योंकि आजादी हर कीमत पर चाहिये थी। मिली भी।
चलते-चलते
कुछ चीजों के तलाश में हम दूर तक भटकते हैं। परेशान होते हैं। पर वह हमारे पास या इर्द-गिर्द ही होती है। बस हमें दिखाई नहीं देती या हम देखने की कोशिश नहीं करते। कुछ ऐसी ही है जिंदगी।
- विपिन धनकड़
#Life#Zindagi#Motivation#SundayPositive
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टिप्पणियाँ
Wah 👌
जवाब देंहटाएंWah 👌
जवाब देंहटाएंआभार जी।
हटाएंबहुत शानदार।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाईसाहब।
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति विपिन जी।
जवाब देंहटाएंतमाम उम्र, बस उम्र तमाम करते रहे
बस यही कल आज कल का काम करते रहे
जियेंगे चैन से मिल जायेगी जब फुरसत
इसी हसरत में सब फुरसत हराम करते रहे....
------'अजेय'
और ख़ुदा कसम करते रहेंगे....��
साधुवाद��
हटाएंधन्यवाद सर। जो मैंने 700 शब्दों में कहा, वो काम आपने चार लाइन में कर दिया।
This is called life reality
जवाब देंहटाएंThanx sir.
हटाएंWaaHh
जवाब देंहटाएंधन्यवाद डॉक्टर साहब।
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