गंगा में फुदकती डाॅल्फिन
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
पानी में फुदकती डाॅल्फिन को निहारने की ख्वाहिश किसे नहीं है। गौते लगाने की इसकी अदा मोहित कर लेती है। बच्चे और बड़ों के लिए यह कौतूहल का विषय है। स्क्रीन पर डाॅल्फिन को छलांग मारते हुए तो बहुतों ने देखा होगा, पर असल में यह नजारा देखने के लिए लोग पर्यटन करते हैं। राष्ट्रीय जलीय जीव की उपाधि से नवाजी जा चुकी डाॅल्फिन की जिंदगी किसी रहस्य से कम नहीं है। गहरे पानी में रहने वाली डाॅल्फिन को संरक्षित करने के लिए गंगा में अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है। डाॅल्फिन में इतनी खूबिया हैं कि यह प्यार की हकदार है।
गंगा में तैरती डॉल्फिन। |
गंगा में लगा रही गौते
भारत में डाॅल्फिन गंगा-ब्रहमपु़त्र और इनकी सहायक नदी में पाई जाती है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के कुछ हिस्सों में यह उछल कूद करने के लिए ये स्वतंत्र हैं। गंगा में मिलने वाली डाॅल्फिन को गांगेय डाॅल्फिन कहा जाता है। यहां इसे सूंस या सूसू भी कहा जाता है। बिजनौर बैराज से लेकर नरौरा तक इनका हैबिटेट है। यहां पर डब्लूडब्लूएफ की मदद से डाॅल्फिन के संरक्षण का काम किया जा रहा है। संस्था की ओर से संजीव यादव और शाहनवाज इनकी देखरेख में लगे हैं। दोनों महानुभव बताते हैं कि गंगा की उक्त बेल्ट में डाॅल्फिन के फलने और फूलने की अपार संभावनाएं हैं। गांगेय डाॅल्फिन विश्व की दुर्लभ डाॅल्फिन में है। पिछले साल तक इस इलाके में 35 डाॅल्फिन रिपोर्ट हुई थीं। गंगा क्षेत्र में प्रयागराज और बनारस में भी प्रोजेक्ट चल रहा है। देश में करीब 3500 गांगेय डाॅल्फिन हैं।
ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
डाॅल्फिन का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। मान्यता है कि भगवान शिव ने पृथ्वी पर गंगा के अवतरण की घोषणा के लिए सूंस की रचना की थी। इसको गंगा के नित्य सहचर के रूप में देखा जाता है। सम्राट अशोक ने इस मादक जीव के महत्व को स्वीकारते हुए 2200 साल पहले डाॅल्फिन के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब डाॅल्फिन को पुपुतकाश कहा जाता था।
डाॅल्फिन की 10 जरूरी बातें
1- यह मछली जैसी दिखती है, लेकिन स्तनधारी है।
2- भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश में पाई जाती हैं।
3- डाॅल्फिन गहरे पानी में रहती है और हर दो मिनट बाद सांस लेने के लिए बाहर फुदकती है।
4- मादा डाॅल्फिन नर से बड़ी होती है। इसकी लंबाई करीब पौने तीन मीटर तक हो जाती है।
5- वजन 120 से 130 किलो तक रहता है।
6- इसकी उम्र करीब 28 से 30 साल है। 12 साल में व्यस्क हो जाती है।
7- दो-तीन साल में प्रजनन करती है। बच्चों के सर्वाइव करने का प्रतिशत कम है। इसलिए भी इनकी संख्या कम है।
8- छोटी मछलियों को अपना भोजन बनाती है।
9- सोते समय आप इसको पानी की सरफेस पर देख सकते हैं। उस वक्त आधा दिमाग सक्रिय रहता है।
10- 5 अक्तूबर को डाॅल्फिन डे मनाया जाता है।
चलते-चलते
डाॅल्फिन पानी के पवित्र होने की परिचायक है। यह प्रदूषण रहित पानी में ही जीवित रह पाएगी। पर्यावरण के संतुलन के लिए इस प्यारे से जीव की रक्षा और देखभाल हमारी जिम्मेदारी है। हमारे बच्चे इसको फुदकते हुए देख पाएं, इसके लिए हमें गंगा का प्रदूषित होने से बचाना होगा।
- विपिन धनकड़
घड़ियालों के बारे में इस लिंक पर पढ़ें।
https://vipindhankad.blogspot.com/2020/08/how-to-change-wildlife.html
#Ganga#Dolphin#WWF
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
जबर्दस्त। काफ़ी फैक्ट्स डॉल्फिन के बारे में पता लगे ये लेख पढ़ने के बाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंNice Article 👍.. Opinions from expert Ravinder missing :)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंBahut badiya Sir,,,👍👍ese hi likhte rahe badiya-badiya
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएं