विंटर ब्रेक

चित्र
सर्दी अकेली नहीं आती। अपने साथ विंटर ब्रेक, कोहरा, गलन भी लाती है। पहाड़ों पर बर्फ और मैदान पर शीतलहर का राज चलता है। एक चीज और लाती है सर्दी अपने साथ। न्यू ईयर। नये साल के जोश में चूर हम ठंड को ओढ़ते और बिछाते हैं। होटल, रेस्टोरेंट और सड़क पर जश्न मनाते हुए सर्दी का स्वागत करते हैं। सड़क पर ही बहुत से लोगों को कड़कड़ाती सर्दी सीमित कपड़ों और खुले आसमान में गुजारनी होती है।  चाय, काॅफी पीते और तापते हुए बोलते हैं ऐसी नहीं पड़ी पहले कभी। सर्दी का यह तकियाकलाम अखबारों में रोज रिकाॅर्ड बनाती और तोड़ती हेडलाइन को देखकर दम भरता है। मुझे विंटर ब्रेक का इंतजार औरों की तरह नहीं रहता। मैं पहाड़ों की जगह अपनी रजाई में घूम लेता हूं। मनाली, नैनीताल और मसूरी में गाड़ियों की कतार मुझे अपनी ओर नहीं खींच पाती। क्योंकि पत्नी और बेटे की छुट्टी रहती है और बाहर हम कम ही जाते हैं इसलिए मेरे ड्यूटी कुछ सख्त हो जाती है। रूटीन बेपटरी होने की शुरुआत अलार्म नहीं बजने से होती है। देर से सोना और सुबह जब मन करे उठना यह एैब इंसान को बर्बाद कर सकता है। दुनिया से काट देता है।  सर्दी बच्चों को बेकाबू होने की छूट देती है। नहान

महानगरों में योग पर चोट

 

दुनिया में भारत योग के लिए जाना जाता है। करीब पांच हजार साल पुरानी इस पद्धति को आज विश्व आत्मसात कर रहा है। दिनोंदिन योग का भोग बढ़ता जा रहा है। इस बीच कोरोना महामारी ने योग के टीचर्स पर गहरी चोट की है। एक झटके में हजारों योगियों को आत्मनिर्भर से बेरोजगार कर दिया। उनको पलायन को मजबूर होना पड़ा। दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद और गाजियाबाद जैसे महानगरों में अचानक योगा ट्रेनर खाली हो गए हैं। कुछ ऑनलाइन क्लास दे रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या सीमित है। दिल्ली और नोएडा में अभी योगा सेंटर बंद हैं। 

पर्सनल ट्रेनिंग में शर्त

महानगरों में योग की खासी मांग है। आधुनिक लाइफस्टाइल अपने साथ कई बीमारी भी लेकर आई। बीपी, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, तनाव जैसी बीमारियों ने योगा की मांग बढ़ा दी। दिल्ली और नोएडा में योग के ट्रेनर उमेश का कहना है कि एनसीआर में अचानक हजारों योग के टीचर बेरोजगार हो गए हैं। ये वो लोग हैं जो योगा सेंटर, पार्क और कोठियों में योग सिखा रहे थे। कोरोना ने इनका रोजगार छीन लिया। मजबूरन इनको अपने घर लौटना पड़ा। सरकार ने अनलाॅक तीन में जिम खोलने की मंजूरी दे दी है, लेकिन दिल्ली और नोएडा में अभी योगा सेंटर  और जिम खोलने की मंजूरी नहीं मिली है। उमेश के मुताबिक कुछ लोग ऑनलाइन काम कर रहे हैं, लेकिन सिखाने में जो बात सामने रहकर होती है, वह ऑनलाइन नहीं हो सकती। नए सीखने वालों के लिए समस्या अधिक है। पर्सनल ट्रेनिंग में दूसरी जगह न जाने की शर्त रखी जा रही है।

कल तक थे आत्मनिर्भर

नोएडा निवासी सुमित योगी एनसीआर में योग के ट्रेनर हैं। उनका कहना है दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद और गाजियाबाद में करीब 30 हजार योगा टीचर फ्रीलांसिंग कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कोरोना की कारण बेरोजगार हो गए और वह अपने गांवों को वापस लौट गए। योग की मांग बढ़ी तो है, लेकिन सरकार को इसे सरकारी रोजगार से जोड़ना होगा। आयुष मंत्रालय को इस पर ध्यान देना चाहिये। योग के पढ़े लिखे नौजवान जो कल तक आत्मनिर्भर थे आज बेरोजगार हो गए हैं।

जो दिख रहा, वो बिक रहा

योग में जो दिख रहा है, वो बिक रहा है। टीवी और मीडिया पर छाने वाले योग गुरू और उनके शिष्यों की तो पूछ खूब है, लेकिन क्वालीफाइड युवा नौकरी को तरस रहे हैं। योग की पढ़ाई के लिए एमए योगा, एमएससी योगा, बीए योगा, बीएससी योगा और पीजी डिप्लोमा कोर्स चलते हैं। लेकिन इनको पढ़ाने वाले क्वालीफाइड शिक्षकों की कमी है। कहीं फिजिकल एजूकेशन के टीचर तो कहीं योग सिखा भर देने वाले पढ़ा रहे हैं। योग ट्रेनर नई शिक्षा नीति में योग को मुख्य विषय बनाने की मांग कर रहे हैं। 

ये कर रहे योग का भोग 

योगा सीखने में 40 से 60 साल उम्र के लोगों की दिलचस्पी अधिक है। ये लोग उम्र के इस पड़ाव पर नौकरी, व्यवसाय और पारिवारिक मोर्चे पर सैटल हो चुके होते हैं। हेल्थ के इश्यू और मोटापा आने लगता है। इसलिये योग के भोग की प्रति आकर्षित होते हैं। योग में महिलाओं की रूचि भी कम नहीं है। युवतियां योग की दिवानी हैं। शादी से पहले स्लिम और फिट रहने का जुनून तो बाद में वजन कम करने और तंदरूस्ती के लिए योगा करती हैं। सोसायटियों में योग प्रचलित है। अधिकांश सोसायटी में योगा सेंटर चल रहे हैं।


- विपिन धनकड़ 


#Yoga#Training#YogaCenter#Health

टिप्पणियाँ

  1. अब लगता है आपने ब्लॉग लिखना इतना देर से क्यों शुरू किया।।लाजवाब,बेहतरीन।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस पर भी किसी दिन लिखूंगा सर। धन्यवाद।

      हटाएं
  2. हमारी योग पद्धति विश्व भर मैं अपने सर्वोच्च पायदान मैं पहुच चुकी है लेखक महोदय द्वारा वर्तमान परिवेश मैं योग शिक्षको की बदहाली का जो उल्लेख किया है वास्तव मे चिंताजनक है बाहर के देशो मैं भारतीय योग शिक्षकों की कद्र और भरपूर धन दोनो मिल जाते है हम स्वयम को कमतर आंकते है लेकिन सोने की कीमत एक सफल जौहरी ही आंक सकता है इनकी बदहाली क्षणिक है जैसे सब कुछ सामान्य हो जाएगा ये पुनः फलीभूत हो जाएंगे अभी ज्यादातर लोग परेशान ही है

    जवाब देंहटाएं
  3. अति उत्तम लाखों लोगों की दिल की बात आपने अपनी लेखनी से लिखी है

    जवाब देंहटाएं
  4. आशा है जल्द ही सरकारें और आम समाज योगा ट्रेनर को भी एक इज्जतदार पेशा समझेगा।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

विंटर ब्रेक

हमे तो लूट लिया मास्क वालों ने

हिंदी का भी हो निजीकरण