क्या आप फोन की तरह स्मार्ट हैं?
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हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन है। पर सवाल यह है कि क्या हम भी फोन की तरह स्मार्ट हैं? कर्नाटक में हुए दंगे को देखकर तो ऐसा नहीं लगता। फेसबुक पर डाली गई एक पोस्ट से पता चल गया कि हम कितने स्मार्ट और अनसोशल हैं। तीन लोगों की जान चली गई और 150 घायल हैं। आगजनी में सालों से कायम सौहार्द भी जल गया। अब एकता और भाईचारे की कितनी भी पोस्ट डाल लो, नुकसान और जान लौटने वाली नहीं हैं। सौहार्द का पता नहीं कब तक लौटेगा। ये अंजाम है एक आपत्तिजनक पोस्ट का।
यह है मामला
कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू में कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे नवीन ने फेसबुक पर एक आपत्तिजनक पोस्ट डाल दी थी। इसके बाद हिंसा भड़क गई। उपद्रवियों ने विधायक के घर और डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन पर हमला कर आग लगा दी। 300 से ज्यादा गाड़ियां फूंक दी। पुलिस को गोली चलानी पड़ी। तीन लोगों की मौत हो गई। 60 पुलिस वाले भी घायल हुए हैं। पुलिस ने 150 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपी को पकड़ लिया है। उसने अपना फेसबुक अकाउंट हैक होने की बात कही है। तारीफ की बात यह है कि इस दौरान मुस्लिम भाईयों ने घेरा बनाकर उपद्रवियों से एक मंदिर की रक्षा की।
कब होंगे हम स्मार्ट
उपभोग करने में तो हम आधुनिक हैं, लेकिन सोच और समझदारी में दकियानूसी ही हैं। सोशल मीडिया पर कोई कुछ भी अनाप-शनाप डालकर माहौल खराब कर सकता है। पुलिस तो अपना करेगी, लेकिन सोचना यह है कि हम क्या कर रहे हैं। देश में यह पहला मामला नहीं है, जिसमें सोशल मीडिया का इस्तेमाल धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए किया गया है। सोशल मीडिया पर कंटेंट, ऑडियो और विडियो को फिल्टर करने का अभी कोई नियम नहीं है। बावजूद इसके बिना सोचे समझे आपत्तिजनक सामग्री को प्रचारित किया जा रहा है। शिकायत और खारिज करने की जगह सोशल मीडिया के उपभोक्ता जाल में फंस रहे हैं। जाने अनजाने ऐसा कर वे अपराध के भागीदार बन रहे हैं।
समझो अपनी सोशल जिम्मेदारी
फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टिवटर जैसे प्लेटफार्म ने लोगों को पहचान दी है। इनके बलबूते लोग अपना करियर बना रहे हैं। खुद को अभिव्यक्त कर रहे हैं। बिना मोबाइल के हम एक पल नहीं रह सकते। हर व्हाट्सएप के आवाज मोबाइल खोलने को कहती है। सोशल मीडिया की पहुंच की कोई सीमा नहीं है। भेजा गया संदेश, विडियो और ऑडियो एक पल में दुनिया में कहीं पर भी पहुंच सकता है। आखिर डिजिटल प्लेटफार्म पर हमें अपनी सोशल जिम्मेदारी भी निभानी होगी। गलत चीजों को शेयर न करें। समझना होगा यह एक साइक्लोजिकल वाॅरफेयर भी है। उपद्रवी, आतंकी और असामाजिक तत्व इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। हमे खुद भी सावधान रहना है और दूसरों को भी करना है।
70 करोड़ स्मार्टफोन यूजर
स्मार्टफोन के यूजर तेजी से बढ़ रहे हैं। स्टेटिस्टा डाॅट काॅम वेबसाइट के मुताबिक देश में करीब 70 करोड़ स्मार्टफोन यूजर हैं। 2022 में ये बढ़कर करीब 82 करोड़ और 2025 में करीब 93 करोड़ होने का अनुमान है।
आपत्तिजनक पोस्ट के नतीजे
- यूपी के मुजफ्फरनगर में 2013 में मारपीट की एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से सांप्रदायिक हिंसा हो गई थी। इसने दंगे का रूप ले लिया। 62 लोगों की जान गई।
- दिल्ली में 2019 में हुए दंगे में हिंसा भड़काने में सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया। 60 अकाउंट दंगे के दौरान एक्टिव हुए और बाद में बंद हो गए। दंगे में 53 लोगों की जान गई।
- असम में 2012 में बोडो जनजाति और बंगाली मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच हिंसा हुई थी। एक विडियो के जरिये हिंसा भड़की थी। जिसका लिंक पाकिस्तान से था।
- देश में आपत्तिजनक विडियो वायरल होने की सूचनाएं आती रहती हैं। पुलिस-प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाने के लिए इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ती है।
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टिप्पणियाँ
Really, it is very important to behave smartly while using any kind of social media platform. Congratulations dear Vipin this pist is worthy to all🙏
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