विंटर ब्रेक
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मेट्रो में सफर करने वाले यात्रीगण कृपया ध्यान दें। पांच महीने से बंद उनकी यात्रा फिर से शुरू होने जा रही है। इस बीच कोरोना से लोगों की जिंदगी काफी हद तक बदल चुकी है। यात्रा भी पहले जैसी नहीं रहेगी। सावधानियों के संग सफर करना होगा। सुरक्षा के सारे हथकंडे अपनाने की तैयारी कर लीजिये। यहां पर थूकना मना है कि तर्ज पर गाइडलाइन की अनदेखी करना भारी पड़ सकता है।
लगभग 50 लाख यात्रियों को इधर से उधर करने वाली मेट्रो 169 दिन के बाद पटरी पर लौट रही है। वो भी एकदम विपरीत हालात में। जब बंद हुई थी, इतने बुरे हालात तब नहीं थे। कुछ लोगों का मानना है कि मेट्रो का संचालन अभी नहीं करना चाहिये। इससे संक्रमण बढ़ सकता है। दूसरी और दिल्ली में केस कम होने के बाद फिर से बढ़ने लगे हैं। दिल्ली सरकार मेट्रो चलाने की मांग कर रही थी। यह राहत रंग लाई तो दिल्ली की लाइफलाइन फिर से जी उठेगी।
मेट्रो में सफर के दौरान एंट्री से एग्जिट तक यात्रियों की रेलमपेल रहती है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन चुनौतीपूर्ण होगा। हालांकि लोग अभ्यस्त हो चुके हैं। टोकन काउंटर पर भीड़ नहीं होगी। कार्डधारी ही सफर कर सकेंगे। सीट को लेकर मारामारी का माहौल एकदम अलग होगा। एक सीट छोड़कर दूसरी सीट पर टिकना है। बताया जा रहा है कि डिब्बे में 50 से अधिक यात्री नहीं जा सकेंगे। ३८ प्रतिशत गेट ही खुलेंगे। इन सब बातों को मुमकिन बनाने के लिए धैर्य और अनुशासन की जरूरत पड़ेगी। सटकर खड़े होने वालों को अपनी आदत बदलनी होगी। खाली सीट कोरोना की याद दिलाती रहेंगी।
मेट्रो में किसी की नजर सीट खोजती है तो कोई सुखानुभूति खोज रहा होता है। कभी-कभी तो इसके लिए इच्छार्थी डिब्बा तक बदल लेता है। मेट्रो में अब नैनों की भाषा को बढ़ावा मिलने के पूरे आसार हैं। ताड़ने वालों के पास मास्क की आड़ होगी। लिहाजा वह इसका फायदा उठाने से नहीं चूकेंगे। मास्क की वजह से यात्री एक-दूसरे की मुस्कान को जरूर मिस करेंगे। हावभाव का अंदाजा आंखों से ही लगाना होगा। मैचिंग मास्क किसी का भी ध्यान खींचने में सक्षम होंगे। मास्क के रंग और डिजाइन सफर को सेफ और आकर्षक बनाने में कारगर सिद्ध होंगे। पिंक लाइन, येलो लाइन, ग्रीन लाइन, मैजेंटा लाइन, एक्वा लाइन, ब्लू लाइन पर उनके रंगों के हिसाब से भी मास्क चलन में आ सकते हैं।
डीएमआरसी की 389 किमी लंबी लाइन पर 285 स्टेशन हैं। सबसे बड़ी चुनौती ट्रेन और स्टेशन पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना है। बड़े स्टेशनों में राजीव चौक और हौज खास हैं। इनके गलियारे आपको उलझा सकते हैं। ये ऐसे ज्वाइंट हैं जहां अफरातफरी लाइव देखी जा सकती है। राजीव चौक पर ट्रेन में सीट किस्मत से मिलती है। यह किसी मनोकामना के पूरा होने से कम नहीं है। हौज खास के लंबे काॅरिडोर डीएमआरसी के कद बताने के लिए पर्याप्त हैं। इन पर आपको एयरपोर्ट जैसा अनुभव होगा। इन स्टेशनों की तस्वीर अब बदली-बदली होगी। भीड़ का बोलबाला नहीं रहेगा।
मेट्रो में कृप्या दरवाजे से हटकर खड़ें हो। दरवाजे बाएं ओर खुलेंगे। अगला स्टेशन करोलबाग है... आदि उद्घोषणाएं होती हैं। अब ऐसी उद्घोषणाएं सुनने को मिल सकती हैं। कृप्या सटकर खड़े न हों। सोशल डिस्टेंसिंग या दो गज की दूरी का पालन करें। मुंह से मास्क न हटाएं। शायद यह पहला मौका है, जब उद्घोषणा में बदलाव होगा। नई गाइडलाइन को उद्घोषणाओं में शामिल किया जाएगा।
देश में मेट्रो का जाल फैलता जा रहा है। बड़े शहरों के अलावा छोटे महानगरों में भी इसको पहुंचाने की तैयारी है। अभी जिन बड़े महनगरों में यह दौड़ रही है उनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, बंगलूरू, जयपुर, लखनफ और कोच्चि शामिल है। दिल्ली में 25 दिसंबर 2002 को मेट्रो चली थी।
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- विपिन धनकड़
#Metro#DMRC#MetroLife
SHANDAAR 👌
जवाब देंहटाएंVERY USE FULL TO REMIND 👍
बढिया जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद डॉक्टर साहब।
हटाएं"छिपेगी मुस्कान और बढ़ेगी नैनों की भाषा"- ये पंक्ति पसंद आयी मुझे।
जवाब देंहटाएंजानकारी साझा करने हेतु धन्यवाद।
शुक्रिया।
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