विंटर ब्रेक
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शेर-ओ-शायरी के शौकीनों के लिए राहत इंदौरी का चले जाना एक गहरा सदमा है। कवि सम्मेलन और मुशायरों में राहत इंदौरी की मौजूदगी जुगनू की तरह थी। हर आंख उनको तलाशती। उन्हें देख लेने पर ही दिल को राहत मिलती। राहत साहब कब आएंगे, यह कानाफूसी होती रहती। महफिल लूटने में राहत साहब बड़े माहिर थे। उनके हाथ में माइक आते ही थकान भाग जाती। न जाने कितनी महफिलों को उन्होंने रोशन किया। अफसोस जिंदगी की महफिल छोड़कर ये जुगनू दूसरी दुनिया को रोशन करने चला गया।
साहित्य का जब स भी मालूम नहीं था, तब से राहत इंदौरी का नाम सुनते आ रहा हूं। कई कवि सम्मेलन और मुशायरों में उनको सुनने का मौका मिला। इंटरव्यू भी किया। सांवली सूरत और सरल स्वभाव का धनी व्यक्तित्व हर किसी के दिल में उतर जाता था। धीरे से नब्ज पकड़ना उन्हें बखूभी आता था। शायरी में आशिकी को उन्होंने उस मकाम तक पहुंचाया, जहां से उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। मोहब्बत के सिवा भी वह कम मारक नहीं थे। उनके शब्द खंजर बनकर जहन को लहूलुहान कर देते थे और कमाल की बात यह है कि आह की जगह वाह-वाह निकलती। ऐसे थे राहत। उनका अंदाज कातिल था। वह शब्द फेंकते और लोग उनमें लिपटकर उनकी ओर खिंचे चले आते। शायरी करते वक्त वे बेजा ही नहीं अपने दिल को छूते थे। दरअसल उनके अल्फाज दिल से निकलकर दिलों तक पहुंच रहे होते थे। फरमाइशी शायरों की फेहरिश्त में वह टाॅप पर थे।
अब ना मैं हूं, न बाक़ी हैं जमाने मेरे
फिर भी मशहूर हैं शहर में फंसाने मेरे
जिंदगी है तो नए जख्म भी लग जाएंगे
अब भी बाकी है कई दोस्त पुराने मेरे
हाथ खाली है तेरे शहर से जाते-जाते
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते-जाते
फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क खता है तो, ये खता एक बार नहीं सौ बार करो
उसके कत्थई आंखों में है जंतर-मंतर सब
चाकू-वाकू, छुरियां-वुरियां, खंजर-वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठी मुझसे, रूठे-रूठे हैं
चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब
मुझसे बिछडकर वो भी कहां पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपडे़-वपडे, जेवर-सेवर सब
सूरज सितारे चांद मेरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे
सांसों की तरह साथ रहे सारी जिंदगी
तुम ख्वाब से गए तो ख्यालात में रहे
चरागों का घराना चल रहा है
हवा से दोस्ताना चल रहा है
नए किरदार आते जाते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुंह से जो निकले वो सदाकत है
हमारे मुंह में तुम्हारी जुबान थोड़ी है
जो आज साहिब-इ-मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी है
सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है
चोरी चोरी जब नजरें मिली - करीब
दिल को हजार बार रोका-टोका - मर्डर
नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम - इश्क
दीवाना दीवाना - दरार
कोई जाए तो ले आए - घातक
बुमरो बुमरो - मिशन कश्मीर
हमेशा हमेशा - हमेशा
देख ले - मुन्नाभाई एमबीबीएस
हम अपने गम को - द जेंटलमैन
मोतियों की माला (शब्दकोश) से चुनकर मोती (शब्दों) से गुथा हुआ लेख..👌सटीक
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंराहत साहब का जाना शायरी के एक मैयार का ढह जाना है....
जवाब देंहटाएंउन्हें सदियाँ याद करेंगी...
उन्होंने कहा था कि
तेरी हर बात मुहब्बत में गँवारा करके
दिल के बाजार में बैठे हैं ख़सारा करके
मुंतज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आंख लगे
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके
ख़सारा - घाटा
सही समय पर सही लेख....आपके माध्यम से मेरी भी श्रद्धांजलि 🙏
नमन।
और आपको साधुवाद।
सही कहा सर। वो बड़े शायर थे।
हटाएंसच कहा आपने...✍️
हटाएंउनका इस दुनियाँ से रिश्ता टूट जाना, इक सितारे के चमक को खो देने के बराबर है।
शायरी की दुनिया में एक छवी उनकी रही है और उनकी शायरी के ज़रिए वे हमेशा के लिए ज़िंदा हैं।
إِنَّا لِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ...😢🤲🌴🕊
अजय भाई सही कहा आपने...✍️
हटाएंउनका इस दुनियाँ से रिश्ता टूट जाना, इक सितारे के चमक को खो देने के बराबर है।
शायरी की दुनिया में एक छवी उनकी रही है और उनकी शायरी के ज़रिए वे हमेशा के लिए ज़िंदा हैं।
إِنَّا لِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ...😢🤲🌴🕊
अजय भाई सही कहा आपने...✍️
जवाब देंहटाएंउनका इस दुनियाँ से रिश्ता टूट जाना, इक सितारे के चमक को खो देने के बराबर है।
शायरी की दुनिया में एक छवी उनकी रही है और उनकी शायरी के ज़रिए वे हमेशा के लिए ज़िंदा हैं।
إِنَّا لِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ...😢🤲🌴🕊
शुक्रिया।
हटाएंराहत साहब को यूट्यूब के माध्यम से सुनने समझने का मौका मिला और जितना भी थोड़ा बहुत सुना उन्हें, वह काफी है ये कहने को कि मलाल रहेगा उनको सामने से कभी नहीं सुन पाया।
जवाब देंहटाएंउत्तम प्रस्तुति।
सही कहा अपने। धन्यवाद।
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