विंटर ब्रेक
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दुर्गा भाभी का फाइल फोटो । |
दुर्गा भाभी का जन्म आठ अक्तूबर 1902 को कौशांबी जिले के शहजादपुर गांव में हुआ था। पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रट में नाजिर थे। दुर्गा भाभी का विवाह 10 साल की उम्र में लाहौर निवासी भगवत चरण वोहरा के साथ हो गया था। ससुर शिवचरण रेलवे में अधिकारी थे। उन्हें राय साहब कहा जाता था। 1920 में पिता के देहांत के बाद भगवत चरण खुलकर क्रांतिकारियों के साथ आ गए। दुर्गा भाभी ने उनका समर्थन किया। घर में क्रांतिकारियों का आना-जाना रहता था। वह उनका सत्कार करतीं और क्रांतिकारी उन्हें भाभी बुलाते थे। इस तरह उनका नाम दुर्गा भाभी पड़ा।
खतरे उठाने में दुर्गा भाभी जरा भी नहीं हिचकती थीं। 9 अक्तूबर 1930 को उन्होंने गर्वनर हेली पर गोली चला दी। वह तो बच गया लेकिन, गोली टेलर नाम के अंग्रेज को लगी। इस पर उन्हें गिरफ्तार कर तीन साल की सजा सुनाई गई। वह फिर भी नहीं मानी। उन्होंने मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी गोली मारी थी। साथी क्रांतिकारियों को वह राजस्थान से लाकर हथियार देती थीं। चंद्रशेखर आजाद ने जिस पिस्तौल से खुद को गोली मारी थी, वह दुर्गा भाभी ने ही उनको दी थी। कहा जाता है उस वक्त वह चंद्रशेखर आजाद के साथ थीं। उन्होंने पिस्तौल चलाने की ट्रेनिंग लाहौर और कानपुर से ली।
लाजा लापत राय पर लाठी चार्ज कराने वाले अंग्रेज अधिकारी सांडर्स को गोली मारने के बाद भगत सिंह सीधे दुर्गा भाभी के घर पहुंचे थे। कटे बाल और कोट पैंट की वेशभूषा में देखकर वह उनको पहचान नहीं पाई थीं। दुर्गा भाभी ने अपने बच्चे के साथ भगत सिंह की पत्नी बनकर ट्रेन से उनको कोलकाता पहुंचाया। राजगुरू ने कुली का वेश धारण किया था। भगत सिंह जब असेंबली में बम धमाका करने के बाद गिरफ्तार हो गए तो उनको भगाने की योजना बनाने में दुर्गा भाभी शामिल रहीं। असेंबली में धमाका करने के लिए जो बम बनाए गए थे, उनका परीक्षण करने के दौरान 28 मई, 1930 को दुर्गा भाभी के पति की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद भी उनके कदम रूके नहीं।
दुर्गा भाभी ने 1937 में गाजियाबाद के कन्या विद्यालय में बच्चों को पढ़ाया। इसके बाद मद्रास जाकर मारिया मांटेसरी से मांटेसरी पद्धति की ट्रेनिंग ली और लखनऊ में 1940 में एक मकान किराए पर लेकर मांटेसरी स्कूल खोला। अब यह विद्यालय सिटी मांटेसरी इंटर काॅलेज के नाम से जाना जाता है। दुर्गा भाभी को 1937 में दिल्ली प्रदेश कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। 15 अक्तूबर को 92 साल की उम्र में गाजियाबाद में इनका निधन हो गया। मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में दुर्गा भाभी के नाम पर एक गर्ल्स हाॅस्टल है। छात्राओं का यह सबसे पुराना हाॅस्टल है।
जंग-ए-आजादी की लड़ाई में अनेक महिलाओं ने सहयोग दिया। एक तरफ वो महिलाएं थी, जो सीधा मोर्चा ले रही थीं, दूसरी तरफ वो जो घरों में रहकर योगदान कर रहीं थीं, जिन्होंने अपने भाई, बेटे और पति को देश सेवा में न्यौछावर कर दिया। उनका भी कम योगदान नहीं है। अपनी पूंजी और भविष्य देश को सौंप दिया।
रानी लक्ष्मीबाई
सरोजनी नायडू
मैडम भीकाजी कामा
बेगम हजरत महल
अरूणा आसिफ अली
कस्तूरबा गांधी
विजयलक्ष्मी पंडित
सुचित्रा कृपलानी
- विपिन धनकड़
#IndependenceDay#FreedomFighter#DurgaBhabi
Bahut hi shaandar likha aapne
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर।
हटाएंबहुत खूब सर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार सर
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