सैलून की होम सर्विस ने हजारों कारीगरों को दिया रोजगार
ऑनलाइन बुकिंग सर्विस से चला रहे घर, बड़े शहरों में डिमांड
कोरोना के दौर में नौकरी और व्यवसाय दोनों पर खतरे की तलवार लटकी है। लाखों नौकरियां जा चुकी हैं। बिजनेस बर्बादी की कगार पर हैं। मांग और सप्लाई का चक्र टूटने से देश का आर्थिक पहिया आगे की जगह पीछे की ओर घूम रहा है। इस वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली इंडस्ट्रीज में से एक है सैलून इंडस्ट्री। अनलाॅक दो से सैलून खुल रहे हैं, लेकिन ग्राहक नहीं हैं। इस बीच सैलून की होम सर्विस में काफी इजाफा हुआ है। नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव, फरीदाबाद और मुंबई जैस बड़े शहरों में होम सर्विस के लिए वेटिंग बढ़ रही है।
ओला-उबर की तर्ज पर काम
इस संकट की घड़ी में लोगों ने काम करने और जीने के तौर तरीके बदले हैं। इसलिए भी होम सर्विस की मांग बढ़ी है। हेयर ड्रेसर को ओला और उबर टैक्सी सर्विस की तर्ज पर कमीशन देकर ऑनलाइन काम मिल रहा है। हालांकि कई कंपनी और बड़े सैलून पहले से होम सर्विस दे रहे थे। इस बीच उनके बिजनेस में बड़ा उछाल आया है। बुकिंग करके वह कारीगर को क्लाइंट का पता दे देते हैं। घर पर काम होने से ग्राहक भी खुश और सेफ फील कर रहे हैं। हां, महंगा जरूर है।
सैलून बंद कर दे रहे होम सर्विस
गाजियाबाद के वैशाली में सैलून चलाने वाले मोहम्मद असलम दिल्ली में रहते हैं। लाॅकडाउन में उनका सैलून बंद रहा। अब खुला भी तो ग्राहक कभी आते हैं तो कभी दुकान पर खाली बैठकर लौटना पड़ता है। असलम के मुताबिक 22 साल में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि सैलून से बिना काम किए घर लौटना पड़ा हो। सैलून की होम सर्विस उपलब्ध कराने वाली एक कंपनी से जुड़कर असलम को काम मिल रहा है। इसके बदले उन्हें 20 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है। कटिंग के 300 और शेविंग के 150 रूपये का रेट है। बुकिंग एक या दो दिन पहले मिल जाती है। जब बुकिंग रहती है तो वह अपना सैलून बंद रखते हैं। कंपनी से जुड़ने के लिए उनकी ट्रेनिंग से लेकर सत्यापन तक हुआ है।
कम पड़ने लगे कारीगर
सैलून की होम सर्विस की मांग बड़े शहरों में बढ़ने पर कारीगर कम पड़ने लगे हैं। एक तरफ सैलून ठंडे पड़े हैं तो दूसरी ओर नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद और मुंबई जैसे बड़े शहरों में कंपनी और बड़े सैलून संचालकों को होम सर्विस के लिए कारीगरों की कमी हो रही है। बड़े और बहुमंजिला शहरों में कारीगर और संचालक इससे अपना परिवार चला पा रहे हैं।
कटिंग, वैक्स की मांग
हेयर ड्रेसर जुल्फिकार कहना है अभी लोग कटिंग और हेड मसाज ही करा रहे हैं। फेशियल की डिमांड नहीं है। होम सर्विस में महिला कारीगर की भी मांग है। इनके पास कटिंग के अलावा वैक्स के आर्डर अधिक रहते हैं। कंपनियां हाइजीन पर जोर दे रही हैं। इसके लिए कारीगरों को अलग से किट लेनी होती है। शर्त है कि क्लाइंट से वह मोबाइल नंबर का लेनदेन नहीं करेंगे। होम सर्विस में परिवार का कोई अन्य सदस्य काम कराना चाहता है तो इसकी छूट है। इसका कंपनी कमीशन नहीं लेती। सैलून सर्विस के लिए ऑनलाइन ऑफर भी दे रहे हैं। अनलाॅक वन, अनलाॅक टू अनलाॅक तीन के हिसाब से ऑफर दिए गए। रक्षाबंधन ऑफर के बाद और अब मानसून ऑफर चल रहा है।
- विपिन धनकड़
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कोरोना काल को भी कुछ लोगों ने अवसर में बदला है। सकारात्मक विचारों से ही ऐसा सम्भव है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
जवाब देंहटाएंLajavb story
हटाएंMawana jaisai small town mai bhi ye fecelity thi
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंनकारातमकता को सकारात्मकता में परिवर्तित करने की कला सीख रहा है यह कॉरोना काल।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति!
Thanks
हटाएंअब सैलून का बेहतर और नया विकल्प सब ठीक होने के बाद शायद परम्परागत सैलून पर नकारात्मक प्रभाव डाले
जवाब देंहटाएंसर ये हो सकता है ।
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