राधा कैसे न जले...
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माॅल का नहीं माहौल
आधुनिक प्यार कहीं परवान चढ़ता है तो वह जगह है माॅल। यह प्यार का वो हेरिटेज है जो अभी तक यूनेस्को की नजर से बच हुआ है। मल्टीप्लेक्स और ब्रांडेड आउटलेट के काॅरिडोर प्यार की अनगिनत गाथाओं के साक्षी हैं। जिसे फुटफाॅल कहते हैं, वह इन्हीं से जेनरेट होता है। माॅल खुलते ही उसे गुलजार करने वालों में इनका अहम योगदान रहता है। माॅल खुल चुके हैं, लेकिन फुटफाॅल का अभी टोटा है। शाॅपिंग का बजट नहीं है। मास्क के चलन में आ जाने से लिपिस्टक अंडरग्राउंड हो गई है। सिनेमा बंद है। ऐसे में बेकार में खतरे क्यों मोल ले। भला ये देखकर राधा कैसे न जले।
पार्क से हुआ सबको प्यार
पार्क में जाकर सिर्फ सेहत ही नहीं बनती। जोड़ियां भी बनती हैं। जिनका प्यार पहला राउंड क्वालीफाई कर चुका होता है, वह पार्क में जाकर अपना फयूचर प्लान करते हैं। प्लान करने की भला इससे बेहतर जगह और क्या हो सकती है। एक साथ दो काम, प्रेमी और प्रकृति से प्यार का इजहार हो जाता है। जो इजहार को लेकर ज्यादा गंभीरता दिखाते हैं, कभी-कभी उनका अखबार में इस्तहार छप जाता है। खुलने के बाद पार्क में इन दिनों चहलकदमी कुछ ज्यादा है। सुबह-शाम ही नहीं दोपहर में भी हाल भीड़भाड़ वाला है। सुकून के दो पल यहां भी नहीं मिल रहे। फिर राधा क्यों न जले।
मेट्रो एक सफर है सुहाना
महानगर की लाइफ लाइन मेट्रो भी बंद है। मेट्रो में सफर करते समय प्यार का दरवाजा किसी भी तरफ खुल सकता है। कौन जाने यहां सफर करते-करते कब हमसफर मिल जाए। यहां के स्टेशन प्यार की पींगे बढ़ाने में भी योगदान करते हैं। केंद्रीय वातानुकूलित हवाओं और मेट्रो परिसर की फिजा में प्यार की स्मैल भलीभांति महसूस की जा सकती है। ईयर फोन ठूंसे मंद आवाज और अनूठे अंदाज में बात करने वालों को देखते ही पता चल जाता है कि इनकी गाड़ी प्यार की पटरी पर मेट्रो से भी तेज दौड़ रही है। प्रेमियों को कंधे से कंधा लगाकर यात्रा करने का अवसर सिर्फ मेट्रो ही मुहैया कराती है। करीब चार महीने से ये सिलसिला भी बंद है। राधा कैसे न जले।
बांसुरी की जगह बजा बैंड
घर में भी राधाओं का बुरा हाल है। शादी के बाद चूल्हा-चौका और बच्चों की परवरिश लीलाओं की लील गई। रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी। जब से स्कूल और दफ्तर घर पर आ गए हैं, तब से तो मानोे शामत ही आ गई है। पार्लर तक बंद हो गए। वीकेंड पर ही सही कम से कम बाहर घूमने का प्रोग्राम तो बनता था। अब वो भी बंद है। बांसुरी की जगह बैंड बज रहा है। जो कामकाजी हैं, उनके कृष्ण को लग रहा है कि वह घर में किसी कुलीग के साथ रह रहा है। शाॅपिंग बंद है, मायके जा नहीं सकती। बताओ राधा कैसे न जले।
चलते-चलते: हे राधे आपसे निवेदन है इस लेख को पढ़ें, जले नहीं।
- विपिन धनकड़
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टिप्पणियाँ
दिल ढूंढता है , फुरसत के वो लम्हे
जवाब देंहटाएंकलम ने सही में अब लिखना शुरू किया विपिन भाई।।बेहतरीन।जारी रखिये।
जवाब देंहटाएंनमस्कार डॉक्टर साहब। सही पकड़े हैं।
हटाएंIshe kahte hai experience...hahaha..Bhut hi sundar
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
हटाएंअति सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंSo simple bhasha
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही इस समय के हालात ने सबसे ज्यादा मुसीबत राधा के लिए ही खड़ी हुई है काम ज्यादा ओर सजना सवरना कम हो गया और शॉपिंग के लिए जाना ही नही हो रहा है तो बताओ राधा कैसे ना जले
जवाब देंहटाएंएकदम सही फरमाया। राधे-राधे।
हटाएंधन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजी बिल्कुल सही कहा अपने। पढ़ने के लिये धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआधुनिक युग की रधाओ की व्यथा का बहुत ही सजीव चित्रण।
जवाब देंहटाएंघरवाली और पतिदेव दोनों संकट में हैं सर। बहुत खूब सर।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं🙏
हटाएंGazab... bansuri chhoro peepani b nahi baj paa rahi... bilkul apk andaz ka article 😆😆
जवाब देंहटाएं,,😂 धन्यवाद।
हटाएंNice writing
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ......सही कहा, करोना काल में बांसुरी तो क्या पीपनी भी नहीं बज रही है ।बल्कि अच्छे-अच्छों का बैंड बज रहा है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति के लिए शुभकामनाएं।
धन्यवाद।
हटाएंGood one.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंबेहतरीन प्रस्तुति, शब्दों का बहुत अच्छा चयन, ग्रामीण परिवेश के साथ-साथ शहरी वातावरण का भी सम्मिश्रण।
जवाब देंहटाएंकोरोना काल में बांसुरी तो क्या पीपनी भी नहीं बजती .....उलट कोराना ने अच्छे-अच्छों का बैंड जो बजा दिया है ।
सुंदर प्रस्तुति के लिए शुभकामनाएं।
पढ़ने और सराहने के लिये धन्यवाद।
हटाएंATI Sundar prastuti
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंVery good article ... keep it up
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंहंसते हंसते पढ़ा है पूरा लेख, राधा रानी से विनती है नाराज़ ना होवे 😆🙏
thanks
हटाएंWah. Corona k karan
जवाब देंहटाएंKrishna kaise nibhayein apana vada, Rah gaya Radha ka pyar bhi adha
gajab. dhanyvad.
हटाएंराधा जलती है तो जलने दें, आप अपनी कलम यूँ ही चलने दें।
जवाब देंहटाएंराधा और कृष्ण के जरिये आपने दोनों काम किये हैं.... मरहम भी लगाया और नमक भी....
मुरारि के जन्मदिवस की शुभकामनाएं....
साधुवाद😎👌
😂😂 आपको भी शुभकामनाएं सर।
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