आउटिंग के लिए मुर्दों का बहाना
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फोटो इंटरनेट से ली गई है। |
लौट आया हैवी ट्रैफिक
24 मार्च को देश में लाॅकडाउन लगा था। करीब तीन सप्ताह टोल टैक्स बंद रहे। टोल वाहनों की आवाजाही का रिकाॅर्ड बताने के लिए एक पुख्ता माध्यम हैं। एनसीआर वाले घूमने के लिए उत्तराखंड का रूख करते हैं। आसपास में यह उनका पसंदीदा डेस्टिनेशन है। पहाड़, हरियाली, पानी, जंगल और एकांत की खोज यहां पूरी होती है। लाॅकडाउन में चक्का जाम हो गया था। उत्तराखंड के रास्ते पर मेरठ में बने पश्चिमी यूपी टोल से रोजाना गुजरने वाले भारी वाहनों की संख्या करीब 25 से 30 हजार रहती है। लाॅकडाउन के समय यह घटकर दो हजार तक पहुंच गई थी। यह फिर से पुराने रिकाॅर्ड को छूने को बेताब है। इस वक्त आंकड़ा 15 हजार के आसपास चल रहा है। टोल पर करीब 60 प्रतिशत ट्रैफिक आ गया है। वीकएंड पर थोड़ा अधिक हो जाता है।
सेटिंग से बहाने तक
सेटिंग और बहानों के महत्व को खारिज नहीं किया जा सकता। यह हर जगह मुमकिन है। पिछले दिनों एक चुटकुले के पंचिंग लाइन सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इससे पहले कोई आपको लाए लोटे या जार में, कुछ दिन तो गुजारो हरिद्वार में। बहानेबाजों ने इसको भी सीरियसली ले लिया। सूत्रों के मुताबिक तथाकथित घुमक्कड़ अस्थि विसर्जन करने का बहाना बना रहे हैं। हालांकि उनके हाथ में अस्थि कलश नहीं होते। टोल पर उत्तराखंड और दिल्ली के नंबरों की गाड़ियों से पूछताछ की जाती है। मानसून चल रहा है, इसलिए ऊंचाई पर पहाड़ों में जाने पर फंसने का खतरा है। इसलिए हरिद्वार और ऋषिकेश घुमक्कड़ों की प्राथमिकता में है। मुख्य मागों के अलावा साइड और सेटिंग से भी लोग आउटिंग का लुत्फ उठा रहे हैं। संकट के दौर में होटलों में ठहरना सस्ता है।
एसयूीवी की सरसराहट
हाईवे पर बसें और ऑटो का जमघट अब उतना नहीं दिख रहा, जो पहले रहता था। सवारियों का टोटा और सड़कों पर गाड़ियों की भरमार है। एसयूवी की सरसराहट लौट आई है। शनिवार और रविवार को ट्रैफिक बढ़ गया है। अंतर राज्य आवाजाही पर मनाही नहीं है, लेकिन जहां-तहां रोकटोक की जा रही है। इन परिस्थिति में गाड़ी का उत्तराखंड का नंबर डिमांड में है। जिनकी रिश्तेदारी देवभूमि में है, वह खुद को वीआईपी महसूस कर रहे हैं। एनसीआर से उत्तराखंड की ओर गाड़ियों की दौड़ बढ़ गई है। स्कूल और ऑफिस घर से चल रहा है तो कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो आउटिंग और काम एकसाथ कर रहे हैं। वैसे भी गर्मी में इस बार बच्चों की ट्रिप नहीं लगी। आउटिंग से बच्चे भी खुश हैं।
चलते-चलते : घूमने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन नियमों को तोड़ना और जानकारी छिपाने से संक्रमण बढ़ सकता है। कोरोना की रोकथाम के लिए डब्ल्यूएचओ ने कांटेक्ट ट्रेसिंग को सबसे अहम बताया है। इसलिए जिम्मेदार नागरिक की भूमिका हम सबका दायित्व है।
- विपिन धनकड़
#Traveling#Haridwar#Rishikesh#Outing
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टिप्पणियाँ
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जवाब देंहटाएंAcha lekh h bhaiya pr bhut delhi ke log jyada h jo aise humne ja rhe h
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