विंटर ब्रेक

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सर्दी अकेली नहीं आती। अपने साथ विंटर ब्रेक, कोहरा, गलन भी लाती है। पहाड़ों पर बर्फ और मैदान पर शीतलहर का राज चलता है। एक चीज और लाती है सर्दी अपने साथ। न्यू ईयर। नये साल के जोश में चूर हम ठंड को ओढ़ते और बिछाते हैं। होटल, रेस्टोरेंट और सड़क पर जश्न मनाते हुए सर्दी का स्वागत करते हैं। सड़क पर ही बहुत से लोगों को कड़कड़ाती सर्दी सीमित कपड़ों और खुले आसमान में गुजारनी होती है।  चाय, काॅफी पीते और तापते हुए बोलते हैं ऐसी नहीं पड़ी पहले कभी। सर्दी का यह तकियाकलाम अखबारों में रोज रिकाॅर्ड बनाती और तोड़ती हेडलाइन को देखकर दम भरता है। मुझे विंटर ब्रेक का इंतजार औरों की तरह नहीं रहता। मैं पहाड़ों की जगह अपनी रजाई में घूम लेता हूं। मनाली, नैनीताल और मसूरी में गाड़ियों की कतार मुझे अपनी ओर नहीं खींच पाती। क्योंकि पत्नी और बेटे की छुट्टी रहती है और बाहर हम कम ही जाते हैं इसलिए मेरे ड्यूटी कुछ सख्त हो जाती है। रूटीन बेपटरी होने की शुरुआत अलार्म नहीं बजने से होती है। देर से सोना और सुबह जब मन करे उठना यह एैब इंसान को बर्बाद कर सकता है। दुनिया से काट देता है।  सर्दी बच्चों को बेकाबू होने की छूट देती है। नहान

विश्वव्यापी श्रीराम



श्रीराम सिर्फ एक नाम नहीं है। वह एक संस्कृति है, एक पूरा युग है। अध्यात्मक दृष्टि से राम लाखों करोड़ों लोगों के जीवन में रचे-बसे हैं। अयोध्या में तो रामलला अब विराजमान होंगे, किंतु लोगों के मन में तो वह हजारों साल से विद्यमान हैं। घर-घर में उनका ठिकाना है। कण-कण में उनकी मूरत है। बिना राम के तो यहां रहीम भी नहीं है। जहां राम को रहीम और रहीम को राम के साथ रखा जाता हो, ऐसी संस्कृति किसी और देश में नहीं मिलेगी। मर्यादा पुरषोत्तम को भारत ही नहीं पूरे विश्व में पूजा जाता है। हिंदू ही नहीं मुस्लिम राष्ट्रों में भी राम का अस्तित्व है। 

इंडोनेशिया में राम

श्रीराम सिर्फ भारत में पूज्य नहीं हैं। दुनिया में उनकी अराधना का डंका बजता है। इंडोनेशिया में करीब 90 प्रतिशत मुस्लिम हैं। फिर भी उनकी संस्कृति पर राम की गहरी छाप है। फादर कामिल बुल्के 1982 में लिखते हैं 35 साल पहले मेरे एक मित्र ने जावा के किसी गांव में एक मुस्लिम शिक्षक को रामायण पढ़ते देखा तो  पूछा कि आप रामायण क्यों पढ़ते हैं। उत्तर मिला कि मैं और अच्छा मनुष्य बनने के लिए रामायण पढ़ता हूं। रामकथा पर आधारित जावा की प्राचीनतम कृति रामायण काकावीन है। बाली द्वीप के संस्कृत साहित्य में राम की स्पष्ट छाप है।


थाइलैंड, बर्मा में राम

थाईलैंड को संप्रभु बनने से पहले श्याम नाम से जाना जाता था। तब भी वहां के लोग राम नाम जपते थे। कहा जाता है 13वीं सदी में राम जननायक के रूप में थे। लोगों की राम के प्रति श्रद्धा थी। हालांकि श्रीराम से जुड़ा साहित्य 18वीं शताब्दी में लिखा गया है। बर्मा के लोग राम को प्राचीनकाल से जानते थे। विद्वान यूटिन हटवे ने रामायण पर आधारित 16 ग्रंथों की रचना की है। बर्मा की प्राचीन कृति रामवत्थु है। 

मंगोलिया, मलेयशिया में भी

मलेयशिया एक मुस्लिम राष्ट्र है। रामकथा पर आधारित वहां की प्रसिद्ध रचना हिकायत सेरीराम है। इस रचना पर रामायण का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। वहां के जनजीवन में राम का प्रभाव है। मंगोलिया से प्राप्त रामायण आधारित काष्ठचित्र और पांडुलिपियों के अध्ययन से अनुमान लगाया जा सकता है कि वहां संस्कृत साहित्य की बहुत सारी रचनाओं के आधार पर रामकथा भी वहां पहुंची हैं।

वाल्मीकि, तुलसी हो गए अमर

हमारा तो अभिवादन शब्द ही राम-राम है। जिसने भी राम का नाम लिया, उसकी नैया पार लग गई। स्वयं वाल्मीकि रामायण लिखकर अमर हो गए। इतना ही नहीं तुलसीदास के रामचरित्रमानस की छाप किसके मानस पर नहीं है। अनेकानेक ग्रंथ और महाकाव्य रामजी के चरित्र का बखान करते हैं। वाल्मीकीय रामायण ही नहीं बल्कि अध्यात्म रामाणय, अद्भुत रामायण, अगस्त्य रामायण, आनंद रामायण आदि अनेक रामायण ग्रंथ रचे गए हैं।


देश के सुप्रसिद्ध राम मंदिर

अयोध्या राम मंदिर, उत्तर प्रदेश
भद्राचलम मंदिर, तेलंगाना
कोडनदरमा मंदिर, आंध्र प्रदेश
श्री रामा स्वामी मंदिर, केरल
कलाराम मंदिर, महाराष्ट्
राम मंदिर, उड़ीसा
रामचौरा मंदिर, बिहार
राम राजा मंदिर, मध्य प्रदेश
कोडनदरमा मंदिर, कर्नाटक
रामटेक मंदिर, महाराष्ट्
रघुनाथ मंदिर, जम्म-कश्मीर


श्रीराम के विषय में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएं।



- विपिन धनकड़ 


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