विंटर ब्रेक

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सर्दी अकेली नहीं आती। अपने साथ विंटर ब्रेक, कोहरा, गलन भी लाती है। पहाड़ों पर बर्फ और मैदान पर शीतलहर का राज चलता है। एक चीज और लाती है सर्दी अपने साथ। न्यू ईयर। नये साल के जोश में चूर हम ठंड को ओढ़ते और बिछाते हैं। होटल, रेस्टोरेंट और सड़क पर जश्न मनाते हुए सर्दी का स्वागत करते हैं। सड़क पर ही बहुत से लोगों को कड़कड़ाती सर्दी सीमित कपड़ों और खुले आसमान में गुजारनी होती है।  चाय, काॅफी पीते और तापते हुए बोलते हैं ऐसी नहीं पड़ी पहले कभी। सर्दी का यह तकियाकलाम अखबारों में रोज रिकाॅर्ड बनाती और तोड़ती हेडलाइन को देखकर दम भरता है। मुझे विंटर ब्रेक का इंतजार औरों की तरह नहीं रहता। मैं पहाड़ों की जगह अपनी रजाई में घूम लेता हूं। मनाली, नैनीताल और मसूरी में गाड़ियों की कतार मुझे अपनी ओर नहीं खींच पाती। क्योंकि पत्नी और बेटे की छुट्टी रहती है और बाहर हम कम ही जाते हैं इसलिए मेरे ड्यूटी कुछ सख्त हो जाती है। रूटीन बेपटरी होने की शुरुआत अलार्म नहीं बजने से होती है। देर से सोना और सुबह जब मन करे उठना यह एैब इंसान को बर्बाद कर सकता है। दुनिया से काट देता है।  सर्दी बच्चों को बेकाबू होने की छूट देती है। नहान

नशे दी बोतलें बिकेंगी मॉल में


सूबे में २७ अगस्त से मॉल में ब्रांडेड और इम्पोर्टेड शराब मिलेगीयह बात सुनकर शौकीनों के मुंह में एक पैग जितना तो पानी आ ही गया होगा. कल्पनाएं कुलांचे मारने लगी होंगी. यूपी सरकार ने माॅल्स में ब्रांडेड शराब की बिक्री को मंजूरी देकर यह सुअवसर प्रदान किया है. अब मॉल्स में घूमने, शॉपिंग करने और खाने के अलावा पीने का भी जुगाड़ हो गया है. हालांकि अभी माॅल्स अपने फुटफाॅल स्तर की रिकॉर्ड गिरावट का सामना कर रहे हैंकुछ बंद भी हैं. लेकिन इस फैसले से मॉल के अच्छे दिन आने की अटकलें लगाई जा रही हैं. यह कदम मॉल कल्चर में मील का पत्थर साबित हो सकता है.


एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर
Photo by www.gleniswillmott.eu

अपने समाज में शराब को अच्छा नहीं माना जाता. पियक्कड़, शराबी, टल्ली और टुन्न शब्द के अस्तित्व से तो यही पता चलता है. समझदारों की बात पर हम नहीं जाते. वो बात अलग है कि शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व से ही राज्य सरकारों को आत्मनिर्भर होने का सुखद अहसास होता है. खैर, मुद्दे की बात पर आते हैं. शराब की बिक्री के लिए देश में ठेकों का संकट नहीं है. इनका पता पूछने के लिए जीपीएस की भी जरूरत नहीं पड़ती. बल्कि ये खुद में लैंडमार्क हैं. लोकल में मेडिकल स्टोर का पता हो या न हो लेकिन ठेकों का ठिकाना जरूर पता होता है.


नई तीन स्तरीय प्रणाली का आगाज

सूबे में त्रिस्तरीय चुनाव की सुगबुगाहट है. तीन स्तर चुनाव का मतलब ग्राम पंचायत के चुनाव से है. हालांकि खबर आ रही है कि कोरोना की वजह से चुनाव टल सकते हैं. इस बीच मॉल्स में ब्रांडेड शराब की बिक्री को मंजूरी मिलने से अब शराब के ठेकों की तीन स्तरीय प्रणाली हो गई है. अपने यहां दो प्रकार के ठेके पहले से वजूद में हैं. पहला देशी शराब का ठेका. देश आजाद होने के बाद बंदिश, तनाव और दबाव से आजादी दिलाने का यही प्रतीक रहा है. इसकी खिड़की से बाहर आने वाला द्रव्य दूसरों के लिए दारू और क्रेता के लिए दवा से कम नहीं होता. ठेके के दूसरे प्रकार का संबंध अंग्रेजी शराब से है. दरअसल, यहां डिब्बों में बंद शराब को खरीदने वाले ही शौकीन समझे जाते हैं. बाकी तो सब पियक्कड़ हैं. इनको ठेका पुकारना तो इनकी तौहीन होगी. इसलिए नाम वाइन शॉप हो गया. अब शॉप पर तो कोई भी जा सकता है. यहां लिंगभेद भी नहीं है. शौक तो सब रख सकते हैं जनाब. अब माल्स शराब का तीसरा क्रय केंद्र होंगे. मॉल्स में पीने की इजाजत नहीं दी गई है.


शॉपिग और विंडो शॉपिंग 

शहरों में घूमने और मौजमस्ती के लिए मॉल्स फेवरेट डेस्टिनेशन हैं. कुछ शॉपिंग करने जाते हैं तो कुछ विंडो शॉपिंग करने. प्रदेश में ब्रांडेड शराब की विंडो शॉपिंग की यह शुरूआत होगी. खरीदारों के लिए यह फायदा होगा कि वह परिवार की शॉपिंग के साथ अपने शौक की भी शॉपिंग कर सकेंगे. विंडो शॉपिंग का भी मजा मिलेगा. वाइन शॉप से खरीदारी करती महिलाओं को आसपास के लोग घूर रहे होते हैं. कुछ तो तजुर्बेदार विंडो शॉपिंग करने इसलिए भी जाएंगे.

नोट: लेखक के ये निजी विचार हैं. मकसद किसी की मानहानि करना नहीं है. फिर भी किसी को दुख पहुंचा हो तो वह दो पैग मारकर दूर कर ले. 


-& विपिन धनकड़



#Mall#Alcohol#Branded

टिप्पणियाँ

  1. उत्तर
    1. रश्मि जी देखने के लिए शुक्रिया। उम्मीद है जरूर आएंगे।

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  2. बहुत ही शानदार लेख दोस्त

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  3. पढ़ने और सराहने के लिए धन्यवाद।

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  4. डॉ साहब बहुत-बहुत धन्यवाद।

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