सूबे में २७ अगस्त से मॉल में ब्रांडेड और इम्पोर्टेड शराब मिलेगी. यह बात सुनकर शौकीनों के
मुंह में एक पैग जितना तो पानी आ ही गया होगा. कल्पनाएं कुलांचे मारने लगी होंगी.
यूपी सरकार ने माॅल्स में ब्रांडेड शराब की बिक्री को मंजूरी देकर यह सुअवसर
प्रदान किया है. अब मॉल्स में घूमने, शॉपिंग करने और खाने के अलावा पीने का भी जुगाड़ हो गया है. हालांकि अभी माॅल्स अपने
फुटफाॅल स्तर की रिकॉर्ड गिरावट का सामना कर रहे हैं, कुछ बंद भी हैं. लेकिन इस
फैसले से मॉल के अच्छे दिन आने की अटकलें लगाई जा रही हैं. यह कदम मॉल कल्चर में
मील का पत्थर साबित हो सकता है.
एक कदम आत्मनिर्भरता की
ओर
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अपने समाज में शराब को
अच्छा नहीं माना जाता. पियक्कड़, शराबी, टल्ली और टुन्न शब्द के
अस्तित्व से तो यही पता चलता है. समझदारों की बात पर हम नहीं जाते. वो बात अलग है
कि शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व से ही राज्य सरकारों को आत्मनिर्भर होने
का सुखद अहसास होता है. खैर, मुद्दे
की बात पर आते हैं. शराब की बिक्री के लिए देश में ठेकों का संकट नहीं है. इनका पता
पूछने के लिए जीपीएस की भी जरूरत नहीं पड़ती. बल्कि ये खुद में लैंडमार्क हैं. लोकल
में मेडिकल स्टोर का पता हो या न हो लेकिन ठेकों का ठिकाना जरूर पता होता है.
नई तीन स्तरीय प्रणाली का
आगाज
सूबे में त्रिस्तरीय
चुनाव की सुगबुगाहट है. तीन स्तर चुनाव का मतलब ग्राम पंचायत के चुनाव से है.
हालांकि खबर आ रही है कि कोरोना की वजह से चुनाव टल सकते हैं. इस बीच मॉल्स में
ब्रांडेड शराब की बिक्री को मंजूरी मिलने से अब शराब के ठेकों की तीन स्तरीय
प्रणाली हो गई है. अपने यहां दो प्रकार के ठेके पहले से वजूद में हैं. पहला देशी
शराब का ठेका. देश आजाद होने के बाद बंदिश, तनाव
और दबाव से आजादी दिलाने का यही प्रतीक रहा है. इसकी खिड़की से बाहर आने वाला
द्रव्य दूसरों के लिए दारू और क्रेता के लिए दवा से कम नहीं होता. ठेके के दूसरे
प्रकार का संबंध अंग्रेजी शराब से है. दरअसल, यहां
डिब्बों में बंद शराब को खरीदने वाले ही शौकीन समझे जाते हैं. बाकी तो सब पियक्कड़
हैं. इनको ठेका पुकारना तो इनकी तौहीन होगी. इसलिए नाम वाइन शॉप हो गया. अब शॉप पर तो कोई भी जा सकता है. यहां लिंगभेद भी नहीं है. शौक तो सब रख सकते हैं जनाब. अब माल्स शराब का तीसरा क्रय केंद्र होंगे. मॉल्स में पीने की इजाजत नहीं दी गई है.
शॉपिग और विंडो शॉपिंग
शहरों में घूमने और
मौजमस्ती के लिए मॉल्स फेवरेट डेस्टिनेशन हैं. कुछ शॉपिंग करने जाते हैं तो कुछ
विंडो शॉपिंग करने. प्रदेश में ब्रांडेड शराब की विंडो शॉपिंग की यह शुरूआत
होगी. खरीदारों के लिए यह फायदा होगा कि वह परिवार की शॉपिंग के साथ अपने शौक की
भी शॉपिंग कर सकेंगे. विंडो शॉपिंग का भी मजा मिलेगा. वाइन शॉप से खरीदारी करती
महिलाओं को आसपास के लोग घूर रहे होते हैं. कुछ तो
तजुर्बेदार विंडो शॉपिंग करने इसलिए भी जाएंगे.
नोट: लेखक के ये निजी विचार हैं. मकसद किसी की मानहानि करना नहीं है. फिर भी किसी को दुख पहुंचा हो तो
वह दो पैग मारकर दूर कर ले.
-& विपिन
धनकड़
#Mall#Alcohol#Branded
अच्छे दिन आयेंगे....
जवाब देंहटाएंरश्मि जी देखने के लिए शुक्रिया। उम्मीद है जरूर आएंगे।
हटाएंबहुत खूब सर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रिय।
हटाएंबहुत ही शानदार लेख दोस्त
जवाब देंहटाएंपढ़ने और सराहने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन विपिन भाई।।
जवाब देंहटाएंडॉ साहब बहुत-बहुत धन्यवाद।
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